Category Archives: मस्तराम कश्यप की कलम से

01 : केकरा कहै छै नेशनल आरु केकरा इंटरनेशनल…..सब क’ मही देलियै @ मस्तराम कश्यप

Barun Kumar Babul0

ओना त यहीं रहना, जीना, मरना, सब यहीं, लेकिन कहां हम्में नय छियै. जेखनी नीतेश जी “गुज्जू – गुज्जू कोन कोना, चल जो गोपाल कोना’ खेलै रहे, हम्में वहीं रिहै. जेखनी शाहानवाज जी मंत्री बनी क उड़लै, आरू बेमंत्री बनी क धरती पर एलै, हम्में, हवाई अड्डा के छड़देबाली के पास खड़ा रिहै. एतने नय, गोपाल जी के साथ त हम्में हरदम रहै छियै. मोदी जी हमरो’ मित्र, हमरा सें रे – बे में बात करै छै. नेशनल की इंटरनेशनल, हर जगह, हर समय क मही क राखी देने छियै. आय सें दू साल पैहनेह कहीं देने रहिए, कोरोना खेपी लेलियौ त, समझी ले, यमराज हमरो कुछ नय बिगारे’ पारै. यहै कारण आबे’ हर जगह चरखी काटै छियै. नवगछिया सें […]