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नवगछिया । बिहपुर प्रखंड के नरकटिया गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के आयोजन शुभारंभ हुआ। प्रथम दिवस पर भागवत महात्म्य पर वाचन कर रहे कथाब्यास आचार्य मांगन बाबा नें कहा कि श्रीमद्भागवत मात्र एक ग्रंथ नहीं, अपितु भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है। इसका श्रवण, पठन और चिंतन आत्मा को पवित्र करता है और जीवन को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। पद्मपुराण में भागवत महात्म्य की विस्तृत कथा आती है, जिसमें भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की सहायता से नारदजी भागवत कथा का उपदेश करते हैं। भागवत का श्रवण करते ही जड़ बुद्धि को दिव्यता प्राप्त होती है और आत्मा परमात्मा से एकाकार होने लगती है। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आत्मा की परम मुक्ति का मार्गदर्शक है। वेदों का सार, उपनिषदों का गूढ़ तत्व और भगवान कि परम भक्ति
का परम मार्ग इसमें समाहित है।
श्रीमद्भागवत महापुराण भारतीय सनातन धर्म का एक महान ग्रंथ है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, भक्ति मार्ग की महिमा और जीवात्मा के परमात्मा से मिलन का विस्तृत वर्णन है। मांगन बाबा ने महात्म्य पर व्याख्यान करते हुए कहा कि आत्मदेव और धुंधली के पुत्र गोकर्ण और धुंधकारी थे। गोकर्ण एक ज्ञानी और धर्मात्मा थे, जबकि धुंधकारी दुष्ट और दुराचारी थे। धुंधकारी ने चोरी और हिंसा जैसे पाप किए, जिसके कारण उनकी अकाल मृत्यु हुई और वे प्रेत योनि में चले गए। उनके भाई गोकर्ण ने उन्हें श्रीमद् भागवत कथा सुनाकर प्रेत योनि से मुक्त कराया। उन्होने कहा कि शस्त्रों के अनुसार भागवत अति प्राचीन हैं। भगवाण नारायण के मुख से यह ज्ञान ब्रह्मा जी को प्राप्त हुआ। ब्रह्मा जी ने इसे सनकादि ऋषियों को कहा, उन्होंने नारद जी को, और नारद जी ने व्यास जी को सुनाया। व्यास जी ने इसे सुकदेव को और सुकदेव ने महाराज परीक्षित को सुनाया, जिससे यह ज्ञान मनुष्य तक पहुँचा। इस मोके पर आयोजक सवीता देवी, दीपक राय, धीरज राय, नीरज राय एवं अन्य सहयोग में रहे।

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