


नवगछिया के कदवा पंचायत के कार्तिक नगर निवासी शिक्षक घनश्याम राम के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके बड़े पुत्र अनिमेष आनंद (उम्र लगभग 17 वर्ष) की मौत ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Duchenne Muscular Dystrophy) जैसी दुर्लभ बीमारी से हुई, जो समय पर इलाज व जरूरी दवाइयों के अभाव में और गंभीर हो गई। अनिमेष का अंतिम संस्कार रविवार को घर के पास खेत में किया गया। मुखाग्नि उनके दादा रामेश्वर रविदास ने दी।
घनश्याम राम के दोनों बेटे—अनिमेष और अनुराग—उसी बीमारी से पीड़ित हैं। अनिमेष की मौत के बाद परिवार ने छोटे बेटे अनुराग को कई घंटों तक इस खबर से दूर रखा। लेकिन जब उसने देखा कि घर के लोग रो रहे हैं, तो खुद समझ गया कि भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा। उसने अपने पिता से कहा, “अगर दवाई नहीं मिली, तो मेरी भी मौत हो जाएगी।” इस पर पिता ने उसे दिलासा दिया कि उसकी दवाइयाँ आ रही हैं।
घटना के बाद पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। पत्नी मंजनी कुमारी और तीन बेटियाँ—प्रतिमा (पीजी छात्रा), सपना (इंटर) और सबसे छोटी बेटी जो नवम कक्षा में पढ़ती है—गहरे सदमे में हैं। सपना ने कहा, “पापा हम तीनों बहनों को ज़हर दे दीजिए, भाई ऊपर अकेले कैसे रहेगा?” प्रतिमा ने सरकार से गुहार लगाई, “अगर मेरा छोटा भाई भी चला गया, तो राखी किसे बाँधूंगी?”

घनश्याम राम ने बताया कि उन्होंने कई बार सरकार से इलाज और दवाइयों के लिए पत्राचार किया, यहां तक कि परिवार ने सामूहिक इच्छा मृत्यु की भी मांग की, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। पटना एम्स के डॉक्टरों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर दवा समय पर नहीं दी गई, तो परिणाम गंभीर होंगे। परिवार ने पूर्णिया सांसद पप्पू यादव से भी मदद की गुहार लगाई, मगर कोई ठोस पहल नहीं हुई।
परिवार की मांग:
सरकार ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी असाध्य बीमारियों के लिए मेडिकल कॉलेजों में विशेष कोटा और वेंटिलेटर जैसी जरूरी सुविधाएँ सुनिश्चित करे। साथ ही ऐसी बीमारियों के लिए अलग से सहायता नीति बनाई जाए ताकि भविष्य में किसी और परिवार को ऐसा दुख न सहना पड़े।
