


भागलपुर। बिहार राज्य आज महिला सशक्तीकरण की दिशा में पूरे देश में एक मिसाल बनता जा रहा है। यह संभव हो पाया है बिहार सरकार की दूरदर्शी योजनाओं और महिलाओं की जागरूकता व सक्रिय भागीदारी से। सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला संवाद जैसी पहलें महिलाओं को न केवल अपनी आवाज उठाने का मंच दे रही हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।
महिला संवाद कार्यक्रम के तहत प्रदेश के विभिन्न प्रखंडों में प्रतिदिन 30 से अधिक स्थानों पर आयोजित संवाद सत्रों में हजारों महिलाएं न केवल अपनी सफलता की कहानियाँ साझा कर रही हैं, बल्कि वे सरकार की योजनाओं से मिले लाभ को पूरे समाज के हित में उपयोग भी कर रही हैं।
तुलसीपुर की सीता देवी बनीं प्रेरणा स्रोत

खरीक प्रखंड के तुलसीपुर गांव की रहने वाली सीता देवी की कहानी इसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि बिहार सरकार की स्टूडेंट क्रेडिट योजना का लाभ उठाकर वे अपने बेटे को बाहर पढ़ने भेज सकीं। आज उनका बेटा वैज्ञानिक बनने की राह पर है। सीता देवी भावुक होकर कहती हैं, “अगर सरकार का सहारा नहीं होता, तो मेरा बेटा आगे नहीं बढ़ पाता। आज वह अपने सपनों को पूरा कर रहा है और मेरा भी सपना साकार हो गया है।”
महिलाओं की मांगें बदल रही विकास की दिशा
महिलाएं अब केवल अपने व्यक्तिगत सशक्तीकरण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने गांव, समाज और राज्य के समग्र विकास में भागीदारी निभा रही हैं। संवाद कार्यक्रमों में वे गुणवत्तायुक्त पेयजल, सामुदायिक पुस्तकालय, खेल मैदान, विवाह भवन, अनाज भंडारण गृह जैसी आधारभूत सुविधाओं की मांग कर रही हैं।
इन कार्यक्रमों से सरकार को सीधे तौर पर महिलाओं की आकांक्षाओं और ज़मीनी जरूरतों को समझने में मदद मिल रही है। महिला संवाद के माध्यम से प्राप्त सुझावों और मांगों को नीति निर्धारण में प्राथमिकता दी जा रही है।
