


भागलपुर में वट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर शहर की गलियों से लेकर गांवों तक आस्था की अनूठी तस्वीर देखने को मिली। सैकड़ों की संख्या में सुहागिन महिलाएं पारंपरिक परिधान और सोलह श्रृंगार के साथ वटवृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं।

सुबह से ही बटवृक्षों के चारों ओर पूजा की तैयारियां शुरू हो गई थीं। महिलाओं ने डलिया में फल, मिठाई और पूजा सामग्री रखकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनते हुए व्रत रखा। बांस के पंखे से पति को हवा झेलना, परिक्रमा करना और मौन रहकर पति की लंबी उम्र की कामना करना इस पर्व की विशेष पहचान है।

व्रत कर रहीं पूनम सिंह ने कहा, “वट सावित्री सिर्फ एक व्रत नहीं, यह हमारी संस्कृति और पति के प्रति समर्पण का प्रतीक है।”
सूमन ठाकुर बोलीं, “सावित्री ने अपने तप और संकल्प से यमराज से भी अपने पति का जीवन लौटा लिया था। हम उसी श्रद्धा से व्रत रखते हैं।”
सपना शर्मा ने कहा, “यह पर्व हर स्त्री को शक्ति और विश्वास देता है कि सच्चे प्रेम और आस्था से कुछ भी संभव है।”
भागलपुर जिले के कई इलाकों में बट सावित्री व्रत श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया गया, जिससे यह साबित होता है कि आस्था की डोर आज भी मजबूत है और परंपराएं जीवंत हैं।
