


मोती यादव ने कहा, “आख़िर कब तक नवगछिया में खूनी संघर्ष चलता रहेगा? कब तक यहां के व्यापारी डर के साए में जीवन जीने को मजबूर रहेंगे? और कब तक जनता को छलावे में रखकर राजनेता शब्दों की माला पहनाते रहेंगे? नवगछिया की जनता अब इन सवालों का जवाब मांग रही है।”
नवगछिया बाजार के हड़िया पट्टी निवासी विनय गुप्ता हत्याकांड को लेकर क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल बना हुआ है। इसी क्रम में रंगरा चौक प्रखंड के प्रमुख संजीव कुमार उर्फ मोती यादव मृतक विनय गुप्ता के घर पहुंचे और शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना प्रकट की। उन्होंने पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि यह केवल एक परिवार की क्षति नहीं, बल्कि पूरे व्यवसायिक वर्ग और समाज के लिए गहरा आघात है।

उन्होंने पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार नीरज के हालिया बयान पर नाम लिए बिना प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “हमारा उद्देश्य किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करना नहीं है, लेकिन जब आप एक ऊंचे पद पर हैं, तब भी यदि अपराधी खुलेआम एक व्यवसायी की गोली मारकर हत्या कर देते हैं, तो यह चिंताजनक है। इससे पहले भी कई व्यवसायियों को निशाना बनाया जा चुका है।”
मोती यादव ने आगे कहा कि विनय गुप्ता की हत्या बेहद हृदयविदारक है। इस घटना से व्यवसायी समुदाय डरा और सहमा हुआ है। कई प्रतिष्ठित व्यवसायी पहले ही नवगछिया छोड़ चुके हैं और अब बचे-खुचे व्यापारी भी पलायन की सोचने लगे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “यहां के मठाधीश सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हुए हैं, किसी ने भी अपराध रोकने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।”
जाति-पांति और भेदभाव की राजनीति को समाप्त करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “अगर आपसे यह जिम्मेदारी नहीं निभाई जा रही है तो मोती यादव इसके लिए तैयार है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नवगछिया पुलिस प्रशासन पर अपराधियों से साठगांठ के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह बेबुनियाद हैं। पुलिस प्रशासन पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है।

इस बीच विनय गुप्ता का तीन वर्षीय मासूम बेटा अपने पिता की बाट जोह रहा है। वह लगातार घर में लोगों से पूछ रहा है – “पापा कब आएंगे? और मुझे सुज्जी का हलवा कब खिलाएंगे?” इस मासूम को क्या पता कि अपराधियों ने उसके पिता को हमेशा के लिए उससे छीन लिया है। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर रहा है।
वहीं मौके पर उनोहने कहा कि यह घटना न केवल एक हत्या है, बल्कि एक समाज, एक परिवार, और एक भविष्य का निर्मम अंत है। अब सवाल यह है कि क्या नवगछिया को सुरक्षित और भयमुक्त बनाने के लिए कोई ठोस पहल होगी, या फिर यह सब यूं ही चलता रहेगा?