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देश के लिए शहीद हुए नवगछिया के लाल हवलदार संतोष कुमार की पार्थिव देह पहुंची गांव, पत्नी के करुण विलाप से दहल उठा पूरा इलाका

नवगछिया : जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान देश की रक्षा करते हुए नवगछिया के इस्माइलपुर टोला भिट्ठा निवासी हवलदार संतोष कुमार शहीद हो गए। गुरुवार को जब उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ पैतृक गांव पहुंचा, तो पूरे क्षेत्र में शोक और गर्व का माहौल देखने को मिला।

शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही हजारों की संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। चारों ओर ‘भारत माता की जय’ और ‘हवलदार संतोष अमर रहें’ के नारों से वातावरण गूंज उठा।

जैसे ही शहीद संतोष कुमार का शव उनके घर पहुंचा, उनकी पत्नी साधना कुमारी का करुण विलाप सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। वे रोते हुए कह रही थीं, “अब किसके सहारे जीवन कटेगा, दुश्मनों ने मेरा सुहाग उजाड़ दिया।”

शहीद की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल था। उन्होंने कहा, “बुढ़ापे का एकमात्र सहारा चला गया। अब जीवन कैसे कटेगा?” पिता चंद्रदेव यादव बेटे के शव को देखते ही फूट-फूट कर रो पड़े।

संतोष की बेटी ने भावुक होकर कहा, “ऑपरेशन सिंदूर की वजह से हमारे पिता की शहादत हुई। सरकार को ऐसा कदम उठाना चाहिए जिससे देश में सभी मिलजुल कर रहें और आतंकवाद का अंत हो।”

गांव के लोग, बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी अपने चहेते सैनिक को अंतिम बार देखने के लिए घरों से निकल पड़े थे। गांव की गलियां और चौक-चौराहे जनसैलाब से भर गए थे।

शहीद संतोष के मामा, जो स्वयं सेना में कार्यरत हैं, ने बताया कि बुधवार रात 10 बजे उन्होंने संतोष को फोन किया था। संतोष ने जवाब दिया, “मामा, अभी फायरिंग चल रही है। बात नहीं कर सकता, फोन काटिए।” इसके बाद उन्होंने संतोष के छोटे भाई से संपर्क किया, जिसने बताया कि आतंकवादियों से मुठभेड़ चल रही है।

शहीद के शाला (बहनोई) रूपम कुमार, जो पास की ही यूनिट में तैनात हैं, ने बताया कि रात 11 बजे नौशेरा सेक्टर में सर्च ऑपरेशन चल रहा था। इसी दौरान आतंकियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। एक गोली संतोष कुमार के सिर के पिछले हिस्से में लगी, जिससे वह मौके पर ही शहीद हो गए। गोली लगने के बाद उनका वाहन भी असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

संतोष कुमार एक अनुशासित और साहसी सैनिक थे। जब भी वे छुट्टियों में गांव आते थे, तो युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे। उनकी शहादत से गांव के युवाओं में भी देशसेवा का उत्साह और बढ़ गया है।

सरकार की ओर से शहीद को राजकीय सम्मान दिया गया है। साथ ही उनके परिवार को आर्थिक सहायता और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया गया है। स्थानीय प्रशासन ने गांव में शहीद की स्मृति में एक स्मारक बनाने की घोषणा भी की है।

देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर हवलदार संतोष कुमार को सम्पूर्ण राष्ट्र श्रद्धापूर्वक नमन करता है। उनकी शहादत को देश हमेशा याद रखेगा।

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