


नवगछिया: वैशाख मास की शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर जानकी नवमी के पावन अवसर पर श्री शिवशक्ति योगपीठ, नवगछिया में दिव्यता और भक्ति से परिपूर्ण भव्य समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन योगपीठाधीश्वर एवं श्री उत्तरतोताद्रिमठ विभीषणकुंड, अयोध्या के उत्तराधिकारी जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ।
सुबह से ही योगपीठ में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रतिष्ठित देवी-देवताओं की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ माता सीता की आराधना की गई। संपूर्ण परिसर राममय हो गया जब सामूहिक सुंदरकांड पाठ आरंभ हुआ। श्रद्धा और भक्ति के संग गीत-संगीत की सजीव प्रस्तुति ने भक्तों को भावविभोर कर दिया।

“दिव्य धरा सों उपजी सीता”—इस भावपूर्ण पंक्ति को जब मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा ने प्रस्तुत किया, तो उपस्थित जनसमूह भाव-विभोर हो उठा। उन्होंने श्रीरामचरितमानस के कई प्रसंगों को अत्यंत सजीव शैली में सुनाकर श्रद्धालुओं के मन में भक्ति की गंगा बहा दी।
इस अवसर पर प्रो. डॉ. आशा ओझा, भजन सम्राट डॉ. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक, रामजन्म मिश्रा, पंडित ज्योतिन्द्रानाथ महाराज, स्वामी मानवानंद, गीतकार राजकुमार, कुंदन बाबा और स्वामी शिव प्रेमानंद भाई जी सहित अन्य विद्वानों ने माता सीता के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों पर प्रकाश डाला।

स्वामी आगमानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा, “जानकी नवमी केवल धार्मिक पर्व नहीं, यह सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना का महोत्सव है। आज के दिन श्रीराम का स्मरण करने से माता सीता अत्यंत प्रसन्न होती हैं। मानस के सीता प्रसंगों का पठन अवश्य करना चाहिए।”
समारोह के अंत में स्वामी शिव प्रेमानंद भाई जी के संयोजन में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित किया गया। यह आयोजन न केवल धर्म और संस्कृति का संगम रहा, बल्कि जनमानस को आदर्श नारीत्व, सेवा और समर्पण की मूर्ति माता सीता के आदर्शों से प्रेरणा देने वाला भी सिद्ध हुआ।