


तकरीबन 3 घंटे तक चला हंगामा
नगर परिषद सभापति प्रतिनिधि प्रेम सागर व नवगछिया पुलिस द्वारा समझाने बुझाने पर शांत हुए परिजन
नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में मंगलवार की संध्या को करीब दो घंटे तक अफरातफरी और हंगामे का माहौल बना रहा। यह हंगामा उस वक्त शुरू हुआ जब नवगछिया के ही रंगरा थाना क्षेत्र के भवानीपुर गांव निवासी अजीत कुमार की 5 वर्षीय पुत्री लक्ष्मी कुमारी की इलाज के दौरान मौत हो गई। लक्ष्मी की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और उपस्थित चिकित्सकों पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए।
मिली जानकारी के अनुसार, लक्ष्मी कुमारी अपनी दादी के साथ खेत में मूंग तोड़ने गई थी। उसी दौरान खेत में किसी बिल में छिपे सांप ने बच्ची को काट लिया। लक्ष्मी ने अपनी दादी को बताया कि उसे किसी चीज ने काट लिया है। जब दादी ने उसके पैर का निशान देखा तो समझ गईं कि बच्ची को सांप ने काटा है। इसके बाद आनन-फानन में परिजन लक्ष्मी को नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल लाए, जहां मौके पर इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर विनय कुमार ने इलाज शुरू किया।
परिजनों ने आरोप लगाया कि मौके पर मौजूद डॉक्टर विनय कुमार ने बिना उचित जांच के केवल एक इंजेक्शन दिलवाया और फिर बच्ची को मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया। इस दौरान परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टर ने इलाज के एवज में ₹5000 की मांग की और मौके पर मौजूद एक ईएमटी भी चिकित्सक के साथ मौजूद थे । परिजनों ने कहा कि बच्ची की दादी से मौके पर ही ₹5000 लिए गए औऱ 20 हजार कुल ईलाज खर्च की बात हुई थी ।

घटना के बाद अस्पताल परिसर में परिजनों ने जमकर हंगामा किया। आक्रोशित लोगों ने डॉक्टर को हाथ में डंडे लेकर खोजते नजर आएं तो अचानक नजर आने पर एक कर्मी से हाथापाई की और गाली-गलौज करते हुए एक – दो लाठियां भी चलाईं। मौके पर मौजूद लोगों ने बीच-बचाव कर किसी तरह हालात को संभाला।
रेफर करने के बाद भी नहीं मिला इलाज
परिजन जब बच्ची को लेकर एक निजी क्लीनिक गए तो वहां के डॉक्टर ने बताया कि बच्ची की हालत गंभीर है और उसे किसी उच्च चिकित्सा संस्थान में ले जाना होगा। इसके बाद परिजन पुनः अनुमंडलीय अस्पताल वापस आ गए । मायागंज रेफर के दौरान ही बच्ची ने दम तोड़ दिया। इस घटना से पूरे परिवार में कोहराम मच गया।
अस्पताल प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना रवैया
घटना के बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल के उपाधीक्षक को कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और बाद में मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। अस्पताल प्रबंधक जितेंद्र कुमार का भी फोन बंद पाया गया। इस पूरे घटनाक्रम में अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी मौके से फरार हो गए, जिससे वहां मौजूद अन्य मरीजों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
आक्रोशित परिजनों ने किया विरोध प्रदर्शन

बच्ची की मौत के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। तकरीबन दो घंटे तक अस्पताल में न चिकित्सक थे, न ही कोई इमरजेंसी स्टाफ, जिससे अन्य मरीजों का इलाज भी बाधित रहा।
नगर परिषद सभापति को दी गई सूचना, प्रतिनिधि ने अस्पताल पहुंचकर जताई नाराजगी
वहीं, घटना की सूचना नवगछिया नगर परिषद की सभापति प्रीति कुमारी को दी गई, जिसके बाद उन्होंने अपने प्रतिनिधि प्रेम सागर उर्फ डब्लू यादव को अनुमंडलीय अस्पताल भेजा। अस्पताल पहुंचने के बाद प्रेम सागर ने पूरे मामले की जानकारी ली और कहा कि चिकित्सकों की लापरवाही के कारण ही मासूम बच्ची की जान गई है।
उन्होंने मौके पर उपस्थित डॉक्टरों को संयमपूर्वक और जिम्मेदारी से कार्य करने की सलाह दी। इधर घंटे के बाद कई थाना क्षेत्रों की पुलिस टीम अस्पताल पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। देर रात बच्ची के शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा था। परिजनों द्वारा पुलिस को लिखित आवेदन देने की।प्रक्रिया की जा रही थी ।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही और पैसों की मांग के कारण ही बच्ची की मौत हुई है। वहीं मौके पर पहुँची पुलिस व नवगछिया थानाध्यक्ष द्वारा मामले की जांच की जा रही हैं ।
वही संबंध में जानकारी लेने हेतु नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक , स्वास्थ्य प्रबंधक एवं भागलपुर सीएस से संपर्क असफल रहा ।
