


भागलपुर : भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इस मुकाम को हासिल करने में देश के हर नागरिक का योगदान है। लेकिन बात जब विशेष प्रयासों की होती है, तो उनमें से एक हैं भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत ध्रुवगंज गांव निवासी युवा वैज्ञानिक गोपाल जी, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम वेस्ट टू वेल्थ, वोकल फॉर लोकल, सेव नेशन सेव ग्रीन को सच कर दिखाया है।
गोपाल जी ने केले के पल्प से पर्यावरण अनुकूल प्लेट, सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प और पेपर जैसे उत्पाद तैयार किए हैं। खास बात यह है कि वे अब सिर्फ केले से नहीं, बल्कि उसके पेड़ यानी ‘थम्ब’ से भी मुनाफे का रास्ता खोल चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले किसान केले के पेड़ को काटकर फेंक देते थे, लेकिन अब वही पेड़ बिकेगा। गोपाल जी किसानों से केले के पेड़ खरीदकर उससे पल्प तैयार कर रहे हैं और उसी पल्प से उपयोगी वस्तुएं बनाई जा रही हैं।
उन्होंने दिल्ली में एक यूनिट भी स्थापित कर दी है और बड़े पैमाने पर प्लांट लगाने की तैयारी में जुटे हैं। इस दिशा में कई निवेशकों और कंपनियों से बातचीत चल रही है।

गोपाल जी ने महज 9 वर्ष की उम्र में केले के पेड़ से बिजली पैदा कर विज्ञान की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद वे लगातार रिसर्च करते रहे और आज उन्हें ‘बनाना बॉय’ के नाम से जाना जाता है। गूगल ने उन्हें इंडियाज यंगेस्ट साइंटिस्ट के तौर पर स्थान दिया है।
उनकी इस अनोखी खोज से किसानों को अब केले के फल के साथ-साथ पेड़ से भी आय होगी। यानी “आम के आम और गुठलियों के दाम” वाली कहावत अब केले पर भी सटीक बैठती है।
बॉलीवुड में गोपाल जी पर बायोपिक भी बन रही है। देश की जानी-मानी फिल्म निर्माण टीम इस पर कार्य कर रही है। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति और नासा के ऑफर को ठुकरा कर भारत में रहकर देश सेवा को प्राथमिकता दी। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और युवा मंत्रालय द्वारा उनकी सराहना की जा चुकी है।
उनकी टीम ने चांद पर भेजे जाने वाले रोवर का भी निर्माण किया था और वह टीम नासा तक पहुंची थी। हालांकि वह प्रोजेक्ट चयनित नहीं हो सका, लेकिन गोपाल जी की मेहनत और सोच ने उन्हें भारत के सबसे युवा वैज्ञानिकों की सूची में पहला स्थान दिलाया।
