


भागलपुर जिले के कहलगांव स्थित एनटीपीसी पावर प्लांट से उड़ने वाली राख ने आसपास के हजारों लोगों की ज़िंदगी को जहरीला बना दिया है। हवा में राख के कण इतने घुल चुके हैं कि अब सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी आंखों के सामने राख का पर्दा छाया रहता है और जब हवा चलती है, तो राख घरों के अंदर तक घुस जाती है।
एनटीपीसी कहलगांव द्वारा परियोजना क्षेत्र के एकचारी और भोलसर में बनाए गए राख डैम से बड़ी मात्रा में राख उड़कर आसपास के इलाकों में फैल रही है। गर्मी के मौसम में यह समस्या और भी भयावह हो गई है। लोगों का आरोप है कि खाने-पीने के सामान, पीने के पानी और कपड़ों तक में राख जम जाती है। सड़कों पर गाड़ियां तक नहीं दिखतीं और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बीते 15 वर्षों में इस क्षेत्र में कई लोग कैंसर, टीबी, त्वचा रोग और सांस संबंधी गंभीर बीमारियों का शिकार हुए हैं। कौआ नदी, जो आसपास के 1000 हेक्टेयर खेत की सिंचाई और मवेशियों के लिए पानी का स्रोत है, अब जहरीली हो चुकी है। नदी में कई बार मछलियां मर चुकी हैं और फसलें बर्बाद हो गई हैं।
सावित्री देवी ने बताया कि दिन-रात राख उड़ती है और खाना-पीना भी दूभर हो गया है। सुलेखा देवी का कहना है कि मासूम बच्चों को खुले में नहीं रख सकते, उन्हें कमरों में बंद रखना पड़ता है। संजू देवी ने कहा कि पहले सब ठीक था, लेकिन जब से ऐस डेक बना है, राख उड़ने लगी है। आंखें खोलना भी मुश्किल हो जाता है। आरती कुमारी ने कहा कि खेत बंजर हो रहे हैं और घर में दिन में कई बार झाड़ू लगाने के बाद भी सफाई संभव नहीं हो पाती। उमा देवी ने तो यहां तक कह दिया कि अब घर छोड़ने की नौबत आ गई है।
गांव के अभिमन्यु सिंह और डेविड हैस ने आरोप लगाया कि एनटीपीसी ने उड़ने वाली राख को रोकने का जो वादा किया था, वह पूरी तरह झूठा साबित हुआ है। कोई अधिकारी गांव में आकर हालात नहीं देखता और न ही कोई स्वास्थ्य शिविर आयोजित होता है।
इस संबंध में पूछे जाने पर भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने माना कि राख से समस्या हो रही है। उन्होंने बताया कि कंपनी को सड़क पर पानी का छिड़काव करने और राख का परिवहन बंद वाहनों से करने के निर्देश दिए गए हैं। तेज हवा के समय राख उठाने पर रोक है और ऐस डेक क्षेत्र में भी छिड़काव कराया जाता है।
