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भागलपुर। समीक्षा भवन भागलपुर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के सहकारिता विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने सहकारिता विभाग के कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता विभाग पैक्सों एवं व्यापार मंडलों के माध्यम से खाद्यान्न अधिप्राप्ति का काम कर रही है, जिसमें धान, गेहूँ एवं मक्का फसलों की अधिप्राप्ति की जाती है। इस खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में धान की अधिप्राप्ति की जा रही है। इस वर्ष राज्य का 45 लाख मैट्रिक टन धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य था जो किसानों से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 रूपए प्रति क्विंटल (साधारण धान) तथा 2320 रूपए प्रति क्विंटल (ग्रेड ‘ए’ धान) की दर से क्रय किया जाना था। उक्त लक्ष्य के विरूद्ध अधिप्राप्ति वर्ष 2024-25 में कुल 4.63 लाख किसानों से 39.23 लाख मैट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गई जो गत वर्ष से लगभग 8.5 लाख मैट्रिक टन अधिक है। किसानों को उनसे खरीदे गए धान का मूल्य 48 घंटों के भीतर पीएफएमएस के माध्यम से सीधे उनके खाता में भेजा जा रहा है। राज्य के रैयत तथा गैर रैयत दोनों प्रकार के किसानों से धान खरीदा जा रहा है जिसमें रैयत किसानों से अधिकतम 250 क्विंटल तथा गैर रैयत किसानों से अधिकतम 100 क्विंटल धान क्रय किया जा सकता है।

इसी प्रकार वर्ष 2025-26 की गेहूँ अधिप्राप्ति अप्रैल माह से आरंभ है। जिसमें किसानों से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रूपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूँ क्रय किया जा रहा है। राज्य में गेहूँ की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है कि राज्य के किसान गेहूँ अधिप्राप्ति में संकल्पित होकर अपना योगदान दें। अभी तक 1289 किसानों से 2365 मैट्रिक टन गेहूँ का क्रय किया गया है। बिहार राज्य फसल सहायता योजना के अंतर्गत राज्य के किसानों के फसल की सुरक्षा के लिए बिहार राज्य फसल सहायता योजना चलायी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न मौसम में उत्पादित किए जाने वाले फसलों के पैदावार मे होने वाल क्षतिपूर्ति हेतु 20 प्रतिशत से कम उत्पादन के ह्रास की स्थिति में अधिकतम 15000 तथा 20 प्रतिशत से अधिक उत्पादन के ह्रास होने पर अधिकतम 20000 रूपये सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से लाभुक किसानों को देने का प्रावधान है। यह योजना वर्ष 2018 से निरंतर राज्य के किसानों को दिया जा रहा है। इस योजना ने किसानों को क्षति की स्थिति में संबल प्रदान करने का कार्य किया है। उक्त योजना अंतर्गत रबी 2022-23 में कुल 2,20,898 किसानों को 164.34 करोड राशि की सहायता उपलब्ध करायी गयी है। खरीफ 2023 के अंर्तगत 40778 किसानों को 32.83 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई है। गोदाम निर्माण योजना के अंतर्गत राज्य के पैक्सों एवं व्यापार मंडलों को सशक्त बनाने के लिए सहकारिता विभाग द्वारा आधारभूत संरचना निर्माण तथा कृषि संयंत्र वितरण योजना चलायी जा रही है। आधारभूत संरचना निर्माण के तहत राज्य के पैक्सों एवं व्यापार मंडलों में 1000 मे. टन, 500 मे. टन. तथा 200 मे. टन. की क्षमता वाले गोदाम का निर्माण तथा 1 मे. टन./2 मे.टन. प्रति घंटा वाले राईस मिल की स्थापना की जा रही है जिसमें 50 प्रतिशत राशी अनुदान तथा 50 प्रतिशत राशी ब्याज रहित ऋण के रूप में उपलब्ध करायी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत 15.13 लाख मे. टन. भंडारण क्षमता का सृजन किया जा चुका है। अबतक 468 राईस मिलों का निर्माण कर लिया गया है जबकि 32 राईस मिल निर्माणाधीन हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य के 325 पैक्सों एवं व्यापार मंडलों में गोदाम निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 में 305 पैक्स, व्यापार मंडलों में गोदाम निर्माण की स्वीकृति दी गई है। राज्य के किसानों तथा अन्य जरूरतमंदों के लिए अल्पकालीन सहकारी कृषि के लिए बिहार राज्य सहकारी बैंक लि. तथा जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लि. कार्यरत है। इनके द्वारा बैंकिग व्यवसाय के साथ-साथ गैर-कृषि ऋण, वैयक्तिक ऋण, उपभोक्ता ऋण, गृह-निर्माण, वाहन क्रय, शिक्षा के लिए भी आसान ऋण व्यवस्था दिया जाता है। राज्य में कुल 22 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक तथा राज्य स्तर पर बिहार राज्य सहकारी बैंक लि. कार्यरत है। सहकारी बैंक के शाखाओं का विस्तार राज्य के सभी प्रखंडों में करने की कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है। “बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन योजना” के अंतर्गत बिहार में “बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन योजना” चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से राज्य के सब्जी उत्पादक किसानों को उनके उपज का उचित मूल्य दिलाने तथा ग्राहकों को गुणवत्ता पूर्ण सब्जी उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के लिए प्रखंड स्तर के प्रखंड स्तरीय सब्जी उत्पादक सहयोग समितियाँ से लेकर राज्य स्तर तक “वेजफेड” का गठन किया जा चुका है इन दो स्तरों के बीच प्रमंडल स्तरीय संघ का गठन किया गया है। वर्तमान में लगभग 474 प्रखंड स्तरीय सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों का गठन हो चुका है जिनसे राज्य के 45990 से अधिक किसान जुड़कर लाभांवित हो रहे है। इस किसानों को हाल ही में प्रोसेसिंग वेराइटी के टमाटर एवं आलू की खेती के लिए पौधे और बीज उपलब्ध कराए गए है तथा खेती का प्रशिक्षण भी दिया गया है। इनके द्वारा उत्पादित प्रोसेंसिंग वेराइटी के टमाटरों का अधिप्राप्ति कर प्रोसेसिंग शुरू कर दिया गया है, शीघ्र ही आलूओं की भी अधिप्राप्ति कर प्रोसेसिंग कर विपणन किया जाएगा। इसके माध्यम से राज्य के किसानों के सब्जी को क्रय कर उन्हे सीधे बाजार में बेचने तथा प्रसंस्करण यूनिटों में भेजने का प्रावधान किया गया है। इससे राज्य के सब्जी उत्पादक किसानों को उनके फसल का उचित मूल्य मिलने का आश्वासन मिला है। प्रखंड स्तरीय सब्जी उत्पादक सहकारी समितियों में आधारभूत संरचना यथा 10 मेट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज, 20 मेट्रिक टन का गोदाम, मार्केटिंग शेड, साटिंग-ग्रेडिंग प्लेटफार्म आदि का निर्माण किया जाना है। अभी तक कुल 64 पीभीसीएस में आधारभूत संरचना निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी है। पैक्स कंम्प्यूटराइजेशन योजना के तहत राज्य में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पैक्सों का कंम्प्यूटराइजेशन किया जा रहा है जिसमें प्रथम चरण में 4477 पैक्सों को कम्प्यूटराइज किया जा चुका है इसमें से 4431 पैक्सों को गो-लाइव कर दिया गया है। इस योजना से पैक्सों कार्यकलाप में पारदर्शिता आयी है तथा लगभग 3252 पैक्सों का सिस्टम आधारित अंकेक्षण भी किया जा रहा है जो राज्य की सहकारी समितियों के इतिहास में एक “मील का पत्थर” है। इसके आलावा पैक्सों में पेट्रोल, डीजल आउटलेट की स्थापना की जा रही है। राज्य के 11 पैक्सों द्वारा इसके लिए आवेदन किया गया है जिसमें से 2 पैक्सों (एक भागलपुर तथा एक पश्चिमी चंपारण) में भारत सरकार की अनुमति मिल चुकी है।

भारत सरकार के द्वारा संचालित योजना में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा राज्य के 137 पैक्सों को प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र के स्थापना की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 20 पैक्सों को ड्रग लाईसेंस प्राप्त हो चुका है। 15 पैक्सों को स्टोर आई.डी. प्रदान किया जा चुका है। ई-सेवाओं के बेहतर पहुँच के लिए पैक्सों में कॉमन सर्विस सेंटर की स्थापना की जा चुकी है। इन केंद्रों से ग्रामीणों को बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन, पैन कार्ड, जन स्वास्थ्य सेवाएँ, आरटीपीसी सेवाएँ, रेल, बस, हवाई टिकट बुकिंग जैसी 300 से अधिक सेवाएँ उपलब्ध हो सकेगी। राज्य के 5871 पैक्सों को इस योजना के अंर्तगत आईडी निर्गत किया गया है। जिसमें से 4002 पैक्सों के आइडी क्रियाशील हो चुके है। राज्य सरकार सहकारिता विभाग के माध्यम से निंरतर जन सामान्य के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार के लिए प्रयासरत है। मुझे आशा है कि “सहकारी चौपाल” का आयोजन जन सामान्य के बीच सहकारिता के मूल्यों एवं उद्देश्यों के प्रति जागरूक करेगा तथा सशक्त सहकारिता के माध्यम से समृद्ध बिहार बनाएगा। गत माह में राज्य के सभी पंचायतों में सहकार चौपाल का आयोजन किया गया है।

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