


नवगछिया के हड़ियापट्टी में पुश्तैनी दुकान से शुरू हुई विरासत की जंग
बरुण बाबुल, जीएस न्यूज़
नवगछिया के हड़ियापट्टी मोहल्ले में दो सगे भाइयों के बीच की पारिवारिक दरार अब इलाके में चर्चा का विषय बन चुकी है। यह कहानी सिर्फ संपत्ति के बंटवारे की नहीं, बल्कि उस मानवीय रिश्ते की है जो खून से जुड़ा होते हुए भी स्वार्थ के आगे हार गया।
यह घटना विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता के परिवार से जुड़ी है, जिनकी वर्षों पुरानी किराना दुकान पूरे मोहल्ले में जानी जाती थी। उनके दो पुत्र – विपिन गुप्ता और विनय गुप्ता – मिलजुल कर उस दुकान को चलाते थे। दुकान की आमदनी से ही पूरा परिवार आराम से जीवनयापन कर रहा था।
विनय गुप्ता की शादी के बाद लंबे समय तक संतान सुख नहीं मिला, लेकिन उन्होंने कभी इस बात को जीवन की कमी नहीं माना। उधर विपिन गुप्ता, जिनके दो पुत्र हैं, को लगा कि शायद विनय उनकी संतान में से एक को गोद ले लेंगे, और यही सोचकर वह संतुष्ट थे। लेकिन विनय ने रिश्तेदार के घर से एक बच्ची को गोद ले लिया। विपिन ने यह सोचकर भी संतोष कर लिया कि बेटी तो एक दिन ससुराल चली जाएगी, ऐसे में विनय की संपत्ति का वारिस अंततः वही होगा।

मगर तीन वर्ष पूर्व विज्ञान ने चमत्कार कर दिया। विनय गुप्ता और उनकी पत्नी को टेस्ट ट्यूब बेबी के माध्यम से जुड़वा संतान – एक पुत्र और एक पुत्री – प्राप्त हुए। यही वह मोड़ था, जब भाइयों के बीच दरार पड़ने लगी।
जैसे ही विनय के घर चिराग जला, विपिन को लगा जैसे उसके सपनों का साम्राज्य बिखर गया। उसे यह डर सताने लगा कि अब विनय के पास अपना वारिस है, और वह अपने हिस्से की संपत्ति भी स्वयं संभालेंगे।
जल्द ही घर की संपत्ति का विभाजन हुआ। पुश्तैनी किराना दुकान विपिन के हिस्से में आई। विनय ने उसी दुकान के पास अपनी नई किराना दुकान खोल ली। शुरुआत में लोगों को संकोच हुआ, लेकिन धीरे-धीरे विनय की ईमानदारी और व्यवहार के कारण उनका व्यापार भी चल निकला।
आज दोनों भाई एक ही मोहल्ले में, दो अलग-अलग दुकानों के मालिक हैं, लेकिन मन में वर्षों की वह भाईचारा और भरोसा कहीं पीछे छूट गया है। इलाके में लोग आज भी कहते हैं – “जिस घर में चिराग जलता है, वहां कुछ चेहरे पर छाया पड़ ही जाती है।”
यह घटना सिर्फ नवगछिया की नहीं, बल्कि उन हर परिवारों की तस्वीर है, जहां खून के रिश्ते संपत्ति के नाम पर उलझते नजर आते हैं।
