


भागलपुर शहर को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी योजना के तहत कई प्रमुख चौक-चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें लगाई गई थीं। इन लाइटों को लेकर उम्मीद जताई जा रही थी कि शहर की जाम की पुरानी समस्या से मुक्ति मिलेगी, लेकिन ये उम्मीदें अब टूटती दिख रही हैं। महज़ कुछ ही दिनों में ये स्मार्ट लाइटें खराब हो गई हैं, जिससे यातायात व्यवस्था एक बार फिर से पूरी तरह चरमरा गई है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के कई व्यस्ततम चौराहों जैसे तिलकामांझी, खलीफाबाग, घंटाघर, अदालतगंज आदि पर आधुनिक ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे। शुरुआत में लाइटें ठीक से काम करती दिखीं, लेकिन कुछ ही समय में अधिकांश लाइटें बंद हो गईं या फिर बेतरतीब ढंग से चलने लगीं। इससे वाहन चालकों में भ्रम की स्थिति बन गई है।

स्थानीय वाहन चालक अजीत कुमार यादव ने बताया कि लाइटों की हालत देखकर समझ नहीं आता कि रुकना है या चलना है। कई बार जाम में फंसने पर उनके मालिक गुस्सा करते हैं और यह मान लेते हैं कि ड्राइवर जानबूझकर देर कर रहा है। इससे ड्राइवरों पर मानसिक दबाव भी बढ़ रहा है।
दिक्कत यह भी है कि खराब लाइटों को लेकर जब संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा जाता है, तो वे चुप्पी साध लेते हैं। कोई भी सामने आकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहा है। लोगों का कहना है कि अगर यही स्मार्ट सिटी है तो इतनी जल्दी सिस्टम फेल कैसे हो गया? क्या इन योजनाओं की निगरानी नहीं की जा रही?
शहरवासी अब सवाल उठा रहे हैं कि कहीं यह स्मार्ट सिटी योजना सिर्फ कागज़ों पर ही तो नहीं चल रही? करोड़ों की लागत से लगाए गए सिस्टम का जब इस तरह हाल हो जाए, तो जवाबदेही तय होनी चाहिए।
फिलहाल देखना यह है कि प्रशासन कब तक इन खराब लाइटों की मरम्मत कराता है और आम लोगों को जाम से राहत मिलती है। जब तक लाइटें सही नहीं होतीं, तब तक चौक-चौराहों पर अफरा-तफरी और ट्रैफिक जाम बना रहेगा।
