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भागलपुर : कोरोना काल में एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति को लेकर दिए गए योगगुरु बाबा रामदेव के बयान के बाद शुरू हुआ विवाद को लेकर देशभर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा लगातार बाबा रामदेव के बयान पर कड़ा विरोध जताया जा रहा है, यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर योग गुरु के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने जैसी कड़ी कार्रवाई की मांग भी की जा रही है,

भागलपुर के मायागंज अस्पताल के मेडिसिन विभाग में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आईएमए के चिकित्सक डॉ हेमशंकर शर्मा ने योग गुरु पर जमकर प्रहार करते हुए बाबा रामदेव को मानसिक रूप से दिवालिया घोषित करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई ना आयुर्वेद से है,

और ना ही योग से योग एक सतत प्रक्रिया है और हमारी लड़ाई एक ऐसे व्यक्ति विशेष से है जो आयुर्वेद की खाल पहन कर ढाल बनाकर, भगवा चोला पहन लिया है, साधु सन्यासी वह होता है जो देश हित में काम करे, समाज हित में काम करे, ना कि समाज को तोड़ने का, आईएमए के डॉक्टर ने बताया कि एलोपैथी 2500 साल पुरानी विद्या है,

और जिस तरह से योग गुरु ने चिकित्सकों के योगदान को बेकार बताया है, जबकि पूरे देश में 300 से अधिक और सिर्फ बिहार में 104 डॉक्टर की मौत कोरोना संक्रमण के कारण अब तक हो चुकी है, साथ ही हजारों स्वास्थ्य कर्मी पारा मेडिकल स्टाफ भी वैश्विक महामारी का शिकार हुए हैं, और कोरोना से बचाव को लेकर दिए जा रहे टीका पर सवाल खड़ा किया है,

यह राजद्रोह की श्रेणी में आता है और भारत सरकार योग गुरु पर राजद्रोह का मुकदमा दायर करें, वहीं डॉ हेमशंकर शर्मा ने बाबा रामदेव के द्वारा कोरोना से बचाव के लिए इजाद की गई उनकी दवा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, अगर संक्रमण से बचाव के लिए उनकी दवा कारगर होती तो 50 से अधिक उनके संस्थान में काम करने वाले लोग और एक उच्च पद पर कार्यरत अधिकारी की मौत नहीं होती,

आईएमए के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई चिकित्सक मौजूद थे, हम आपको बता दें कि विवाद बढ़ा तो बाबा ने तुरंत सफाई भी दे डाली, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बाबा रामदेव को तल्ख पत्र लिख उनकी सफाई को नाकाफी बताकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है.

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