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भागलपुर, जेएनएन। इस बार परदेसी भाइयों तक बहनों का प्यार नहीं पहुंच रहा है। भाई और बहनों के बीच कोरोना का दीवार खड़ी है। सावन के शुरू होते ही मीलों दूर रह रहे भाइयों को राखी भेजने के लिए डाकघर में भीड़ लग जाती थी। देश के विभिन्न जगहों व परदेस में रह रहे भाइयों को राखी भेजने के लिए डाकघर के काउंटरों पर लाइनें लग जाती थी। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरू, जयपुर, भोपाल, लखनऊ, कोलकाता समेत देश के अन्य हिस्सों में प्रतिदिन सात सौ से आठ सौ राखी की रजिस्ट्री होती थी। वहीं विदेशों के लिए प्रतिदिन दस से बारह राखियों की बुकिंग होती थी। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस साल राष्ट्रीय स्तर पर 60 से 70 राखी की रजिस्ट्री हो रही है। विदेश के लिए राखी की बुकिंग पर ग्रहण लग गया है। अबतक सिर्फ एक महिला द्वारा यूएसए के लिए राखी की बुकिंग कराई गई है। राखी बुकिंग का चार्ज 1640 रुपये लगा। ऐसी स्थिति में डाक विभाग को प्रतिदिन दो से ढाई लाख के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

35 देशों में सिर्फ स्पीड पोस्ट की स्वीकृति

डाक विभाग के अनुसार बंगलादेश, आस्ट्रेलिया, भूटान, कनाड़ा, डेनमार्क, फिललैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, हंगरी, म्यांनमार, इंडोनेशिया, जापान, इटली, जोर्डन, कोरिया, मैक्सिको, नार्वे, यूएसए, रूस, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलिपिंस, सिंगापुर, चीन, स्वीडन, वियतनाम, स्वीटजरलैंड, दक्षिण अफ्रीका समेत 35 देशों के लिए सिर्फ स्पीड पोस्ट होगा। पार्सल बुकिंग व रजिस्ट्री पर रोक है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्री व स्पीड पोस्ट के साथ पार्सल बुकिंग भी होगा। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए मुंबई और दिल्ली के लिए सभी तरह की बुकिंग पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन अब बुकिंग शुरू कर दी गई है।

कोरोना का असर राखी बुकिंग पर पड़ा है। पिछले साल की तुलना में इस साल महज दस फीसद प्रतिदिन राखी की बुकिंग हो रहा रहा है। विदेशों में तो नहीं के बराबर राखी भेजी जा रही है। दो सप्ताह में सिर्फ एक राखी यूएसए के लिए बुकिंग हुई है। -चंद्रशेखर मंडल, डाकपाल, प्रधान डाकघर, भागलपुर।

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