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रंगरा : ज्ञानीदास टोला में बोल्डर पिचिंग के अप और डाउन दोनों तरफ गंगा नदी का भीषण कटाव हो रहा है. कटाव से ग्रामीणों में दहशत है. आशंका है पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी लोगों के घर गंगा में न समा जाये. पिछले वर्ष गंगा नदी के कटाव से करीब 300 परिवार बेघर हो गये थे. कटाव से विस्थापित परिवार आज भी सड़क के किनारे या किसी सरकारी जमीन पर झोपड़ी बना कर रह रहे हैं. गंगा का कटाव बोल्डर पिचिंग के डाउन स्टीम में काटते-काटते दो सौ मीटर अंदर सुंदर मंडल के बासा तक पहुंच गयी है. बासा कभी भी कट कर नदी में विलीन हो सकता है. दुर्गा मंदिर के पास पीसीसी रोड का निर्माण हुआ था. उस रोड का अधिकांश हिस्सा गंगा में समा चुका है.

बोल्डर पिचिंग के डाउन स्टीम में किसानों के खेत कट रहे हैं. गांव के बिनोद मंडल कहते हैं कि गंगा नदी काटते-काटते बोल्डर पिचिंग से आगे बढ़ कर गांव में प्रवेश कर जायेगी. ऐसे में गांव को नदी के कटाव से बचाना मुश्किल हो जायेगा. ग्रामीण कटाव निरोधी कार्य में अनियमितता बरतने का आरोप लगाते हैं. इस माह दो जगहों पर बोल्डर पिचिंग व धंसना शुरू हो चुका है.
26 करोड़ 43 लाख रुपये का कटाव निरोधी कार्य पानी में बह गया है. अब तक बचाव के लिए तीन बार कटाव निरोधी कार्य हुआ है. इस वर्ष 15 करोड़ रुपये की लागत से छह मीटर बोल्डर पिचिंग का कार्य हुआ है.

वर्ष 2022 में तीन करोड़ 84 लाख रुपये की लागत से कटाव निरोधी कार्य हुआ था. पांच सौ मीटर में दो गैबियन जीओ बैग का स्लोप बनाया गया था. बंबू पायलिंग की गयी थी. यह पूरा कार्य नदी में बह गया. वर्ष 2020 में सात करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से कटाव निरोधी कार्य हुआ था. इस वर्ष 1570 मीटर में जीओ बैग व बंबू रोल का कार्य हुआ था. वर्ष 2021 के कटाव निरोधी कार्य नदी में समा गया है. ज्ञानीदास टोल में फ्लड फाइटिंग का कार्य हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि बचाव कार्य में जम कर अनियमितता बरती जाती है. जल संसाधन विभाग की ओर से फ्लड फाइटिंग का कार्य भी गंगा नदी में बह गया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि फ्लड फाइटिंग का कार्य किस स्तर का होता है.

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