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संतोष कुमार के अंदर देश प्रेम कूट-कूट कर भरा हुआ था. उनका दिल अपने देश के प्रति अपार श्रद्धा और सम्मान से भरा हुआ था. वे जब भी छुट्टी में अपने घर आते थे, तब अपने गांव के युवकों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते थे. उनका मानना था कि हर नागरिक को अपनी सेना का हिस्सा बनना चाहिए ताकि देश की सुरक्षा और समृद्धि में योगदान दिया जा सके.

संतोष कुमार केवल प्रेरणा ही नहीं देते थे, बल्कि सेना में भर्ती होने के लिए जरूरी जानकारी और प्रशिक्षण भी प्रदान करते थे. वे युवकों को शारीरिक फिटनेस, अनुशासन और सैन्य प्रशिक्षण के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताते थे. उनके मार्गदर्शन में, कई युवाओं ने सेना में भर्ती होने के लिए आवश्यक कदम उठाए.

उनकी प्रेरणा से गांव के सुरेश यादव के पुत्र ब्रजेश कुमार, दिनेश यादव के पुत्र विनय यादव, अखिलेश यादव के पुत्र सोनी यादव, अशोक यादव के पुत्र सचिन कुमार, भोला यादव के पुत्र रोहित कुमार, दिलीप यादव के पुत्र सुशांत कुमार सहित कई युवाओं ने सेना की नौकरी जॉइन की. संतोष कुमार के प्रयासों ने न केवल गांव की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया, बल्कि उन्हें एक उद्देश्य और दिशा दी, जिससे उनका जीवन बदल गया.

संतोष कुमार का यह योगदान न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने अपने क्षेत्र की युवा शक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में शामिल होने की प्रेरणा दी. यह देश प्रेम और कर्तव्य के प्रति उनका अद्वितीय समर्पण था, जो उन्हें एक सशक्त नेता और प्रेरणास्त्रोत बनाता है.

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